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गोंडवाना समाज में दशहरा प्रतिशोध दिवस है, इस दिन का सच्चाई क्या है? क्या आप जानते है?

  प्रतिशोध दिवस  है दशहरा  गोंड़ जनजाति कैसे दशहरा को प्रतिशोध दिवस के रूप में मनाते हैं जरूर जाने।  मैं नहीं हमारी संस्कृति, मान्यता ,परंपरा, कहती है, कि दशहरा गोंड मूल निवासियों की प्रतिशत दिवस है,     हमारे गोंड जनजाति एसटी, एससी, ओबीसी, के लोग लाखों वर्षों से प्रतिशोध दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं , यह परंपरा अद्भुत और अच्छुण है। कहावत है  गोंड के दशहरा  और रावत के देवारी         गोंड बहनों की नवमी व्रत क्या है।  सर्वप्रथम शूर्पणखा अपने भाई रावण की आत्मा शांति के लिए के लिए नवमी व्रत रखे थे ।  तब से लेकर आज तक मूलनिवासी गोंड़ बहन इस व्रत को रखते आ रहे हैं।   दशहरा के आते ही गोंड जनजाति अपने बहनों को 1 सप्ताह पूर्व से आमंत्रित करने जाते हैं  तब सारे बहने अपने साथ एक रखिया के फल और बाजार से  जोति खरीद कर लाते हैं  और नवमी तिथि को भाई रावण को श्रद्धांजलि देने के लिए व्रत रखते हैं , इस दिन संध्या होते ही गोंड भाई अपनी पुरखों की युद्ध सामग्री जैसे तलवार कटार भाला बरछी को  बाजा गाजा के साथ नदी तालाब से धार करके सम्मान पूर्वक लाते हैं।  और अपने देवी स्थल में रखते हैं । तब बहन अपने साथ आर्

गोंडी धर्म क्या है

  गोंडी धर्म क्या है  यह दूसरे धर्मों से किन मायनों में जुदा है , इसका आदर्श और दर्शन क्या है  अक्सर इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। कई सवाल सचमुच जिज्ञाशा का पुट लिए होते हैं और कई बार इसे शरारती अंदाज में भी पूछा जाता है, कि गोया तुम्हारा तो कोई धर्मग्रंथ ही नहीं है, इसे कैसे धर्म का नाम देते हो ? तो यह ध्यान आता है कि इसकी तुलना और कसौटी किन्हीं पोथी पर आधारित धर्मों के सदृष्य बिन्दुवार की जाए। सच कहा जाए तो गोंडी एक धर्म से अधिक आदिवासियों के जीने की पद्धति है जिसमें लोक व्यवहार के साथ पारलौकिक आध्यमिकता या आध्यात्म भी जुडा हुआ है। आत्म और परआत्मा या परम आत्म की आराधना लोक जीवन से इतर न होकर लोक और सामाजिक जीवन का ही एक भाग है। धर्म यहॉं अलग से विशेष आयोजित कर्मकांडीय गतिविधियों के उलट जीवन के हर क्षेत्र में सामान्य गतिविधियों में संलग्न रहता है। गोंडी धर्म अनुगामी प्राकृतिक का पूजन करता है। वह घर के चुल्हा, बैल, मुर्गी, पेड, खेत खलिहान, चॉंद और सूरज सहित सम्पूर्ण प्राकृतिक प्रतीकों का पूजन करता है। वह पेड काटने के पूर्व पेड से क्षमा याचना करता है। गाय बैल बकरियों को जीवन सहचार्य होन