प्रतिशोध दिवस है दशहरा गोंड़ जनजाति कैसे दशहरा को प्रतिशोध दिवस के रूप में मनाते हैं जरूर जाने। मैं नहीं हमारी संस्कृति, मान्यता ,परंपरा, कहती है, कि दशहरा गोंड मूल निवासियों की प्रतिशत दिवस है, हमारे गोंड जनजाति एसटी, एससी, ओबीसी, के लोग लाखों वर्षों से प्रतिशोध दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं , यह परंपरा अद्भुत और अच्छुण है। कहावत है गोंड के दशहरा और रावत के देवारी गोंड बहनों की नवमी व्रत क्या है। सर्वप्रथम शूर्पणखा अपने भाई रावण की आत्मा शांति के लिए के लिए नवमी व्रत रखे थे । तब से लेकर आज तक मूलनिवासी गोंड़ बहन इस व्रत को रखते आ रहे हैं। दशहरा के आते ही गोंड जनजाति अपने बहनों को 1 सप्ताह पूर्व से आमंत्रित करने जाते हैं तब सारे बहने अपने साथ एक रखिया के फल और बाजार से जोति खरीद कर लाते हैं और नवमी तिथि को भाई रावण को श्रद्धांजलि देने के लिए व्रत रखते हैं , इस दिन संध्या होते ही गोंड भाई अपनी पुरखों की युद्ध सामग्री जैसे तलवार कटार भाला बरछी को बाजा गाजा के साथ नदी तालाब से धार करके सम्मान पूर्वक लाते हैं। और अपने देवी स्थल में रखते हैं । तब बहन अपने साथ आर्
Gondwana Darsan आप सभी के लिऐ अपने समाज, रीति - रिवाज व संस्कृति और सभ्यता को जानने व समझने का स्रोत हैं. जिससे आप पुराने सभ्यता को समझे और अपने समुदाय से जुड़े, महान शहीदों, विद्वानों, देवी - देवताओं, त्यौहारों, रीति रिवाजों, गोंडी समाज के बारे में जाने. आप से निवेदन है कि आप सभी आदिवासी भाईयों को Share व Support करे. जय सेवा, जय जोहर,