सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गोंडवाना वीर टंट्या भील (𑴖𑵀𑴖𑵅𑴥𑴱 𑴣𑴳𑴧)का इतिहास के बारे में|

  टंट्या भील 𑴖𑵀𑴖𑵅𑴥𑴱 𑴣𑴳𑴧 ब्रिटिश साम्राज्य के समय टंट्या भील नाम से एक सक्रिय डकैत हुआ करते थे जिन्हें भारतीय जनता द्वारा 'भारत का रॉबिनहुड' के नाम से जाना जाता था। परंतु ब्रिटिश काल में उन्हें अपराधी और नकारात्मक छवि वाले व्यक्ति के रूप में दर्शाया जाता था। टंट्या मामा का इतिहास- कहानी टंट्या भील का जन्म एक आदिवासी समुदाय में हुआ था। इस आदिवासी समुदाय द्वारा नौ गजा पीर का पूजन किया जाता था। ऐसे में जब टंट्या भील का जन्म हुआ तो उनके पिताजी द्वारा नौ गजा पीर के सामने मन्नत मांगी गई थी कि उनका पुत्र हर महिला, दुखी और गरीब की रक्षा करने वाला हो। इसी आधार पर टंट्या भील भारतीय रॉबिनहुड बनने में सक्षम हुए। उनकी बहादुरी और गरीबों के मसीहा बनने को लेकर अक्सर सरकारी अफसर सहमे रहते थे। इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात अंग्रेजों का दमन करने को ही अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाया।  टंट्या भील को पहली बार सन 1874 में गिरफ्तार किया गया जहां उन्हें 1 वर्ष तक की सजा सुनाई गई थी। बल्कि दूसरी बार सन् 1878 में हाजी नसरुल्लाह खान युसूफ जूही द्वारा उन्हें गिरफ्तार करने के उपरांत

डॉ भीमराव अंबेडकर(𑴘𑴱𑵀. 𑴣𑴲𑴤𑴦𑴱𑴨 𑴀𑵀𑴢𑴺𑴘𑴌𑴦) के बारे मे पुरी जानकारी|

 डॉ भीमराव अंबेडकर  के बारे मे जानकारी|𑴘𑴱𑵀. 𑴣𑴲𑴤𑴦𑴱𑴨 𑴀𑵀𑴢𑴺𑴘𑴌𑴦 डॉ भीमराव अंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी सकपाल था। उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अम्बवाड़े गांव में हुआ था। वर्तमान समय में डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्म भूमि को भीमराव अंबेडकर नगर के नाम से जाना जाता है। डॉ भीमराव अंबेडकर जी बचपन डॉ भीमराव अंबेडकर जी बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी और जिज्ञासु प्रवृत्ति के माने जाते थे। बाबा साहेब को एक अर्थशास्त्री, महान राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक की उपाधि से नवाजा गया है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी एक प्रतिभाशाली छात्र थे जिन्होंने विभिन्न विषयों में महत्वपूर्ण शिक्षा हासिल की थी। बाबा साहब अंबेडकर ने भारत देश में अर्थशास्त्री, वकील, पत्रकार और राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी अहम सेवाएं प्रदान की है। उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें अनेक मेडल देकर भी सम्मानित किया गया था। सन 1990 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को मरणोपरांत भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बौद्ध धर्म की शिक्षा से अत्यध