मूल निवासी, आदिवासी, गोडंवानी (कोयतुर) संस्कृति के मुख्य तत्व जो प्रथा एवं परंपरा मे विद्यान है। पृथ्वी की उत्पत्ति - प्रकृति की देन जो कि खगोलिय चुमबकीय गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा अपने कक्ष पर नाँचे से दाये अर्थात घड़ी की सूई के विपरित दिशा में (Anti clock vise) घुम रही है। मानव की उत्पत्ति एवं मूल निवास- प्रकृति शक्ति, पंच महाभूत, पूना उन्ना(सल्ला-गागरा) शक्ति प्रथम, जेष्ठ, दाऊ-दाई(फरावेन-सईलांगर) की कोख से 35 करोड़ वर्ष पूर्व फड़ाकलडूबहिम महापरलय) के समय के समय सिरडीसिंगार द्वीप से उत्पत्ति, निवास स्थान कोयामुरी, सुनुनु द्रीप, सयुंगार द्वीप, गंडो द्रीप जिसे ट्रायेजिक युय में गोडवाना लैण्ड कहा जाता था । जहाँ बाद में आगंतुकों ने वहाँ के मूल निवासियों को मूलनिवासी, द्रविड आदिवासी, हरिजन, बहुजन संबोधित किया। गोंडवाना लेण्ड उष्ण प्रदेश था। संबोधन गणडवेन, गण्डजीव, गॉँड, दैबीर, कोया, कोयतूर युग पुरुष- शंभुशेक(महादेवों) की 88 पीढ़ी, पाहीदी पारी कुपार लिंगो रक्षेन्द्र राज दशानन । युग माता- कली कंकाली , रायताड़ जंगो, 88 शंभुओं की रानी (गौरा दाई नस्ल-रंग-ग्रेनाइट, स्लेटी (सांवला -कला) कद्- साधार
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