दियरी या दियारी (दीपक) एक कोया-पुनेमी फसलोत्सव कोया पुनेम के संस्थापक मुठवा पारी पहाण्दी कुपार लिंगों ने कोयामूरी द्वीप पर मानव के लिए सर्व प्रथम धान की फ़सल की ही शुरुआत की थी इसलिए मानव जीवन के लिए धान बहुत महत्त्वपूर्ण था. आज भी भारत के ज़्यादातर हिस्सों में धान पर आधारित खेती के सहारे ही मानव का जीवन यापन होता है । प्रकृति पर आधारित जीवन जीते जीते मानव ने अपने आस पास शिकार की संभावनाओं को देखा और समय बीतने के साथ साथ कृषि को अपनाया कृषि भी कोई यकायक नहीं हुई, बल्कि जंगल से इकठ्ठा करके लाये गए फल-फूल, बीज और अनाज को उपयोग के बाद मानव आवासों के आसपास फेंक देता था और उन फेंके गए महत्त्वपूर्ण फसलों के पेड़ पौधे उगे फिर उनको अपने निकट ही वो चीजें मिलने लगी जिनके लिए वो दूर तक भ्रमण करते थे. इस विचार ने उन्हें खेती का विचार दिया फिर खेती के लिए मानव श्रम की जरूरत पड़ी जिसके विकल्प के रूप में पशुओं को पालतू बनाकर उन्हें अपनी सुरक्षा और कृषि कार्यों के लिए प्रयोग किया जाने लगा । पशु पालन और कृषि की स्थिति तक इस प्राचीन देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्यूंकि यहाँ धन धान्य की प्रचुर मात्रा
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