गोंडवाना समाज का भगवान कौन है? गोडी कुपारी लिंग कोया पुनेम तत्व ज्ञान सागा (विभग गोत्रज समाज), गोटुल (संस्कृति, शिक्षा केंद्र), पेनकड़ा (देव स्थल, ठाना), पुनेम (धर्म) मुठवा (धर्म गुरु, गुरु) यह पांच वंदनीय और पूज्यनीय धर्म तत्व हैं। इनमे से किसी एक की कमी को पूरी तरह से तैयार किया गया है। मुठवा भट्टी कुपारी लिंगों ने अपने साकृत निरमल पारिश्रमिक मानव समाज से आदि वंशागत सामाजिक जीवन का व्यवसाय, सगायुक्त सामाजिक जीवन के लिए उपयुक्त व्यक्तित्व, नववंशीय निर्माण के कार्य से लेकर कुएं लिंगों को जन्म दिया गो टूटू इंस्टिट्यूशन की स्थापना की स्थापना की गई गोटूल, यह गो + गोगो भी अच्छी तरह से संतुलित है। "तुलु" मतलब थिया, जगह,स्थल इस प्रकार गोटुल का मतलब गोंगोठाना (विद्या स्थल, ज्ञान स्थल) है। काल में गोंडवाँ के रहने वाले गोंड वहा गोटुल संस्थान विद्दमान थे। फिर भी वे किसी भी व्यक्ति से संपर्क करते हैं। गो को अलग-अलग अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया जाता है । जैसे- भूईं गोंडि 'धंगर बस्से' (धंगर मतलब विद्या, बैसर्स मतलब स्थल), गान्या गोंडि 'गिप्रो' (गिती मत
Gondwana Darsan आप सभी के लिऐ अपने समाज, रीति - रिवाज व संस्कृति और सभ्यता को जानने व समझने का स्रोत हैं. जिससे आप पुराने सभ्यता को समझे और अपने समुदाय से जुड़े, महान शहीदों, विद्वानों, देवी - देवताओं, त्यौहारों, रीति रिवाजों, गोंडी समाज के बारे में जाने. आप से निवेदन है कि आप सभी आदिवासी भाईयों को Share व Support करे. जय सेवा, जय जोहर,