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कुमूरम भीम के बारे में l 𑴌𑴵𑴤𑴴𑴦𑴤 𑴣𑴳𑴤 Komaram Bheem (RRR)Movie 2022

   कोमाराम भीम के बारे में —

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     Biography Of Komaram Bheem In Hindi :


 आप सब लोगों को पता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां पर काफी सारे लोगों ने शासन और अत्याचार किया है। लेकिन इन सभी से लड़ने के लिए भारत में काफी सारे वीर योद्धा और क्रांतिकारियों ने जन्म भी लिया है। आज के आर्टिकल में हम कोमाराम भीम के बारे में जानने वाले हैं यह एक ऐसे क्रांतिकारी व्यक्ति थे जिन्होंने हैदराबाद के निजाम आसफ जली के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई करते हुए ईश्वर को प्राप्त हो गए। 

यहाँ पर हम Biography Of Komaram Bheem In Hindi जानने वाले है। जिन भी लोगो को कोमाराम भीम के बारे नहीं है पता है तो आज हम उनको कोमराम भीम की पूरी जीवनी बतायेगे। जिससे आप सब को पता चलेगा की उन्होंने देश के लिए कितने बड़े बड़े काम करते हुए अपनी जान दे दी । 

कोमराम भीम ने देश की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन जंगल में ही बीता दिया। इनके द्वारा “ जल, जंगल और जमीन " वाले नारा आज भी सभी लोग को याद है। इस नारे का मतलब है कि जो भी लोग जंगल में रहते है उन सभी को पुरे संसाधन का प्रयोग करने का अधिकार मिलना चाहिए। 

कोमराम भीम जीवनी एवं जानकारी 


पूरा नाम        -    कोमराम भीम

निक नेम।      -    भीम

जन्‍म             -    22 अक्‍टूबर 1901

जन्‍मस्‍थान     -    सांकेपल्‍ली, हैद्रबाद राज्‍य, ब्रिटीश भारत (वर्तमान तेलंगाना, भारत)

मृत्‍यू             -    8 अक्‍टूबर 1940

मृत्यू स्थान    -    जोधे घाट, हैद्रबाद राज्‍य, ब्रिटीश भारत (वर्तमान तेलंगाना, भारत)

धर्म             -    आदिवासी

जाति           -    गोंड

पत्‍नी            -    सोमबाई

नारा            -    जल जंगल जमीन

विद्रोह         -   हैद्राबाद निजाम और ब्रिटीश के खिलाफ

सेना           -   गुरिल्‍ला सेना

फिल्‍म         -   कोमराम भीम (1990), (RRR 2022)

राष्‍ट्रीयता     -  भारतीय


कोमराम भीम कौन थे 

अगर हम आज भी इतिहास की बात करें तो मुगल और अंग्रेजों के बारे में हमको सिखाया और पढ़ाया जाता है। लेकिन कभी कोमरम भीम जैसे महान व्यक्ति के बारे में बिल्कुल भी नहीं बताया है। वह एक गुमनाम की तरह हो गए हैं और इसका सारा दोष एजुकेशन सिस्टम की ओर ही जाता है। हमारी इतिहास की किताबो में काफी महान लोगो को गुमनाम ही कर दिया है। 

जिस तरह से एक इंसान को रोटी और खाना आदि की जरूरत होती है। उसी प्रकार से हमें इतिहास की सभी चीजों के बारे में भी जानना चाहिए चाहे वह अच्छी या फिर बुरी बात ही क्यों ना हो। जब आपको अपने इतिहास के बारे में सभी जानकारी होगी तभी आप आगे भी लोगो को बता पाएंगे। 

कोमराम भीम तेलंगाना के एक ऐसे नेता थे। जिन्होंने जल, जंगल और जमीन का नारा दिया था और उसी की वजह से उन्होंने अपने जीवन में काफी मुसीबतो का सामना भी किया। लेकिन आज भी इनके बारे में बहुत ही कम लोगो को पता है। लेकिन वही बिरसा मुंडा, सिद्दू कान्हू जैसे अन्य आदिवासी नायको के बारे में आपको हर जगह पढ़ने के लिए मिल जाता है। 

कोमराम भीम का जीवन परिचय

कोमाराम भीम का जन्म तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के संकेपल्ली गांव में गोंड जाति के परिवार में 22 अक्टूबर 1901 को हुआ था। यह भारत के ऐसे जनजातीय नेता थे जिन्होंने हैदराबाद की मुक्ति के लिए आसफ जाही राजवंश से संघर्ष किया था। कोमराम भीम ने निजाम के न्यायालयी आदेशों और आदेशों को सीधे चुनौती दी। इन्होने अपने पुरे संघर्ष को वन में रह कर किया था। 


इनका परिवार आदिवासी होने के कारण पूरी तरह से खेती पर ही निर्भर रहता था। यह जंगल से ही अपने खाने की सभी चीज़ो को लाते थे , मतलब इसका पूरा जीवन सिर्फ जंगल पर ही आश्रित था। लेकिन उस वक़्त सभी जंगलो पर सरकारी वन विभाग का ही अधिकार था। लेकिन वो सभी जंगलो को धीरे धीरे ख़त्म करते जा रहे थे। 


कोमराम एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने बिल्कुल भी पढ़ाई लिखाई नहीं की थी। क्योंकि यह एक आदिवासी थे जो कि जंगलों में रहते थे और आपको पता है कि जंगलों में कभी भी स्कूल नहीं हुआ करते थे। इन्होने अपने लोगों की समस्याओं को इतनी गौर से देखा और उसी से अपने जीवन में काफी सारी चीज़ सीखे। 


आदिवासी जीवना विद्धवंसम’ किताब में लेखक मैपति अरुण कुमार ने बताया कि कोमराम भीम अपने बचपन से ही पुलिस , व्यवसायियों और ज़मीनदारों के द्वारा आदिवासियों पर किये गये शोषण को देखते हुए ही बड़े हुए है। अपने जीवन को जीने के लिए उन्होंने काफी सारे स्थानों को बदलते रहे है। जिससे अधिकारियों के के द्वारा लिए जाने जबरन वसूली से बच सके। 

कोमराम भीम के पिता की मृत्‍यू 

सन 1900 में हैदराबाद के जितने भी फॉरेस्ट अधिकारी या जमींदार थे वह काफी ज्यादा आदिवासियों पर अत्याचार करते थे। जो भी खेती आदिवासियों के द्वारा की जाती थी उस पर कर भी लिया करते थे। साथ में आदिवासियों की पत्नी और बेटियों के साथ बुरा सलूक और बच्चों की उंगलियों को काट दिया जाता था। 


कभी-कभी पेड़ को काटने या उसकी तस्करी करने के जुर्म में आदिवासियों को गिरफ्तार कर लिया जाता था। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए आदिवासियों के अधिकार के लिए लड़ते हुए कोमराम भीम के पिता की फारेस्ट अधिकारियों और जमींदारो ने हत्या कर दी। इसके बाद करीमनगर के जमींदार लक्ष्‍मण राव के पास आकर रहने लगे थे और इन सभी अत्याचार को देखते हुए कोमराम भीम बड़े हुए थे। 


कोमराम भीम यहाँ पर भी जाते वहाँ पर उनको परेशान करने के लिए निजाम शासन के अधिकारी आ जाते थे। लेकिन एक दिन उनसे एक अधिकरी की हत्‍या हो जाती है और उनको आसाम में भागना पड़ता है। अब आसाम में वह चाय के बागानों में काम करके अपने जीवन को व्यतीत करते है। 

कोमराम भीम का विवाह 

आसान से लौटने के बाद भीम जी का विवाह सोमबाई से हो जाता है अब विवाह होने के बाद एक किसान की तरह अपने जीवन को व्यतीत करना चाहते हैं। लेकिन जमीदार और बड़े अधिकारियों के द्वारा कर वसूलने और काफी बेकार व्यवहार से सभी आदिवासी परेशान हो गए थे और इसी चीज़ को देखकर कोमराम भीम हैद्राबाद के निजाम ने मिलने के लिए जाते है और अपनी बात को रखते है लेकिन वहाँ उनकी किसी भी बात को नहीं माना जाता है। 


जब कोमराम भीम सभी कानूनी चीज़ को करके थक जाते हैं उसके बाद वह अपने अधिकार को प्राप्त करने के तरीके को बदलने की सोचते हैं। वह अपने आस-पड़ोस के जिले में रहने वाले सभी गोंड समुदाय के लोगों को इकट्ठा करना शुरू करते हैं। जब गोंड समुदाय के सभी लोग एक साथ मिलकर लड़ने के लिए राज़ी हो जाते है तो वो अपनी गुरिल्‍ला सेना को बना लेते है। अपने इस आंदोलन को और तेज़ी से करने के लिए ‘जल जंगल जमीन’’ नारे को भी बोलने है और यह नारा काफी तेज़ी से लोगो लोकप्रिय हो जाता है। 

कोमराम भीम का बलिदान  

जब कोमाराम भीम अपनी गुरिल्‍ला सेना को लेकर हैदराबाद के निजाम और अंग्रेज़ो के खिलाफ विद्रोह को बहुत तेज़ कर दिया था। जिसकी वजह से लोगो में निजाम और अंग्रेज़ो के विरोध करना काफी आसान सा होने लगा और यह काफी लोकप्रिय बनने लगे। यह सभी चीज़ को देखकर निजाम और अंग्रेज़ो बिलकुल भी खुश नहीं थे। इस सभी लोगो को लग रहा था कोमाराम भीम के कारण वो अपनी हुकूमत को भी खो सकते ही। 


निजाम और अंग्रेजों ने कोमराम भीम के खिलाफ कुछ ऐसे गुप्तचर लगा दिए जो कि उनकी खबर को जल्द से अंग्रेजों के पास पहुंचा सके। जब भी कोई खबर अंग्रेजों तक पहुंची तो वह षडयंत्र रचना शुरू कर देते थे और उनकी सिर्फ एक ही कोशिश रहती थी कि कोमराम भीम आत्‍मसमर्पण कर दे। लेकिन वो इन सभी चीज़ में असफल होते जा रहे थे। फिर बाद में अब्‍दुल सत्‍तार नामक आदमी के द्वारा इनको आग लगाने का आदेश दिया।


निजाम ने अपनी बड़ी सेना को कोमराम भीम को पकड़ने के लिए भेजी थी और जोड़ेघाट पर भीम को अपने 15 साथियों के साथ घेर लिया गया। धीरे-धीरे उन्हें ढलान की ओर ले गए वही आग में कोमराम भीम और उनके 15 साथियों को मार दिया गया। निजाम ने उनके शरीर को बुरी तरीके से जलाया और उसके बाद भी उनको डर लग रहा था। कि कही फिर से भीम जिन्दा होकर वापस ना आ जाए तो उसने सभी को गोलियों भी मारी जिसके कारण उनका शरीर देखने के योग्य बिलकुल भी नहीं बचा था। 


कोमराम भीम को पूर्णिमा के दिन 8 अक्‍टूबर 1940 को मारा गया था। इस घटना को देखकर जोधेघाट की पहाड़िया भी रोने लगी थी। वहाँ पुरे जंगल में जंगल कोमराम भीम अमर रहे के नारे गूज रहे थे। 

कोमराम भीम की विरासत

सरकार ने उनके बलिदान का काफी सम्मान किया है और उनके साथियों के साथ जिस असिफा बाद जिले वह शहीद हुए थे उस जिले का नाम 2016 में बदलकर "कोमराम भीम " रख दिया है। वैसे भीम कोई सभी लोग एक स्थाई नेता के रूप में देखा करते थे। लेकिन वो स्थाई नेता नहीं थे। 


अब आने वाली सभी पीढ़ियों को उनके बलिदान और त्‍याग के बारे में पता चलना चाहिए। अभी भी आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के लोग उनकी शहिद वाले दिन को अस्‍वयुजा पूर्णिमा के रूप में मना रहे है और हम सभी उनके गीतों के माध्यम से उनको याद करते है। 

कोमराम भीम एंव RRR फिल्‍म 

कोमराम भीम के ऊपर "1990" में एक फिल्म कोक भी बनाया गया है। इसमें आपको भीम के प्रेरणादाई जीवन के बारे में सारी चीज़े दिखाई गयी है। इसी वजह से लोगो ने इसको काफी प्यार भी दिया है।

 

इनके जीवन पर फिर से एक फिल्म बनने जा रही है जिसका नाम RRR है। फिल्म में कोमराम भीम का रोल एनटीआर जूनियर और अल्‍लूरी सीतारा राजू का किरदार रामचरण तेजा निभाने दिखने वाले है। बताया जाता है कि यह फिल्‍म 7 जनवरी 2022 रिलीज हो सकती है। 

FAQ ( Frequently Asked Questions )

Q. कोमराम भीम कोन थे ?

कोमराम भीम एक आदिवासी गोंड समुदाय के वीर यौध्‍दा थे । जिन्‍होंने अपने लोगो के अधिकार के लिए निजाम और अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया था ।


Q. कोमराम का जन्‍म कब हुआ था ?

कोमराम भीम का जन्‍म 22 अक्‍टूबर 1901 हुआ था । 


Q. कोमराम भीम की पत्‍नी का नाम क्‍या था ?

कोमराम भीम के पत्‍नी का नाम सोमबाई था। 


Q. भीम की मृत्‍यू कहाँ पर हुई है ?

कोमराम भीम की मृत्‍यू जोधेघाट में हुई है। 


Q. कोमराम भीम की जाति कौन-सी है ?

कोमराम भीम की जाति आदिवासी (गोंड) है।

 

Q. कोमराम भीम पर कौनसी फिल्‍म बन रही है ?

कोमराम भीम के जीवन पर RRR बन रही है


Q. कोमराम भीम का जन्‍म कहाँ पर हुआ था ?

कोमराम भीम का जन्‍म सांकेपल्‍ली गांव मे हुआ था ।


Q. कोमराम भीम की मृत्‍यू किस दिन (तारीख़) हुई है ?

कोमराम भीम की मृत्‍यू 8 अक्‍टूबर 1940 हुई है। 


Q. कोमराम भीम के नाम का जिला किस राज्‍य में है ?

कोमराम भीम नाम का जिला तेलंगाना राज्‍य में है। 

Conclusion 

आज के इस आर्टिकल में आप सभी लोगो ने एक महान व्यक्ति कोमराम भीम के बारे में जाना है। यहाँ पर हमने आपको कोमराम भीम का जन्म , इतिहास , माता और पिता के बारे में सभी जानकारी देने का प्रयास किया है। अगर कभी भी आपको Biography On Komaram Bheem In Hindi बताना पड़ जाए तो अब काफी आसानी से बता पाएंगे। आपको कोमराम भीम से सबंधित कोई भी और सवाल हो तो आप कमेंट में हमसे पूछ सकते है। 



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