पेन व वेन में अंतर
कोया पुनेम अनुसार जब मानव या जीव/वनस्पति जगत जब तक वह जीवीत रहता है तब तक वह वेन कहलायेगा।
मतलब किसी जीव के शरीर में वायु, जल, और अग्नि, पृथ्वी (पंच शक्ति) का संचार होगा तब तक वह वेन रूप में होगा।
अर्थात कोई भी जीवित प्राणी या मानव वेन हैं।
यदि जब किसी जीव या मानव की मृत्यु होने के पश्चात वह पेन रुप माना जायेगा।
वह इसलिए क्योंकि जब तक मानव व जीव जीवित है तब तक उसका शरीर पृकति से प्राप्त पांच प्रकार की उर्जा का उपभोग कर वह पुरा जीवन बिताता है और एक दिन वही प्राणी या मानव मृत्यु के बाद इस ऊर्जा को पृकति को वापिस करता है यानि पानी, मिट्टी आकाश, जल अग्नि समुचे वातावरण में समाहित हो जाता है।
अर्थात उर्जा कभी नष्ट नहीं होती है, केवल एक रुप से दुसरे रूप में स्थानांतरित होती है।
कोया पुनेम मे वर्षों पहले इस ऊर्जा के सिंध्दात को पेन, वेन सिंदांत के रूप प्रतिपादित हमारे पुरखों द्वारा कर दिया गया था।
गोंडी में भाषा में एक वाक्य बोला जाता है
सासी पेन आतुर - इसका अर्थ मरकर के वह पेन हो गया।
तोड़ी ता तोड़ी वड़ी ता वड़ी आयार - मिट्टी का मिट्टी और हवा हवा में मिल जायेंगा।
इन प्रकृति के रहस्यों को हमारे पुरखे जानते थे।
मावा पुनेम कोया पुनेम
सेवा जोहार
तिरूमाल , मुकेश
गोंड होकर के गोंड का आप सभी सम्मान करो।
सभी गोंड एक हमारे मत उसका नुकसान करो।
चाहे गोंड कोई भी हो मत उसका अपमान करो।
जो ग़रीब हो अपना गोंड धन देके धनवान करो।
हो गरीब गोंड की बेटी मिलकर कन्या दान करो।
अगर, गोंड लड़े चुनाव शतप्रति शत मतदान करो।
हो बीमार कोई भी गोंड उसे रक्त का दान करो।
बिन घर के कोई मिले गोंड उसका खड़ा मकान करो।
केश अदालत में अगर है वो बिना फीस के काम करो।
अगर गोंड दिखता भूखा भोजन का इंतजाम करो।
अगर गोंड की हो फाईल (file)शीघ्र काम श्री मान करो।
गोंड की अटकी हो राशि शीघ्र आप भुगतान करो।
गोंड को अगर कोई सताये उसकी आप पहिचान करो।
अगर जरूरत हो गोंड को घर जाकर श्रमदान करो।
अगर मुसीबत में हो गोंड फौरन मदद का काम करो।
अगर गोंड दिखे वस्त्र बिन उसे वस्त्र का दान करो।
अगर गोंड दिखे उदासा खुश करने का काम करो।
अगर गोंड घर पर आये उसका आप सम्मान करो।
अपने से हो बड़ा गोंड उसको आप प्रणाम करो।
हो गरीब गोंड का बरूआ उसकी मदद तमाम करो।
बेटा हो गरीब का पढ़ता कापी पुस्तक दान करो।
गोंड ने अगर तुम्हें नवाज नही आप अभिमान करो।
आदिवासी जोहर।
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