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1 जनवरी को आदिवासियों (जनजातियों) का काला दिवस क्यों कहाँ जाता है?

1 और 2 तारीख आदिवासियों (जनजातियों) का काला_दिवस है, क्योंकि transfer of power agreement 1947 के बाद 1 जनवरी 1948 को अलग देश/province  की माँग के लिए आदिवासी खरसाँवा में एकत्रित हुए थे, जहाँ पर लगभग 30,000 से भी ज्यादा आदिवासियों पर गोलीबारी सरकारी आदेश पर की गई थील

आदिवासियों (जनजातियों) का काला दिवस। क्या आपको जानकारी है?




और जालियाँवाला बाग हत्याकांड से भी भयंकर हुए इस गोलीकांड की एक भी खबर किसी अखबार में नहीं आई.. 
अलग देश या अलग province की माँग पर अंग्रेजों ने पाकिस्तान को अलग किया.. 
जम्मू कश्मीर और आदिवासी क्षेत्र तो भारत में ही रहे , पर शर्त थी, कि उन पर कानून का हस्तक्षेप नहीं होगा.. 


आंदोलन और अपने हक अधिकार की माँग करना हर किसी का अधिकार है। जिसके लिए जयपाल_सिंह मुण्डा खरसावाँ , झारखंड में एक जनसभा करने वाले थे

पर सरकारी आदेश या कहा जाए डर के मारे 30,000+आदिवासी पर गोली चला दिया गया, 

तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को जिम्मेदार मानते हुए आदिवासी उनको अपना आदर्श नहीं मानते.. 

जीते जी तो पटेल ने 1 jan 1948 को खरसावां में 30,000 से ज्यादा हो आदिवासियों की हत्या कर दी थी, क्योंकि वो कानून सम्मत अधिकारों की मांग कर रहे थे, और यह हत्याकांड जलियावाला हत्याकांड से भी भयंकर थी।

साथ ही मरने के बाद भी कई आदिवासी गांव को विस्थापित कर रहे।

लौह पुरूष नहीं, वो आदिवासी समाज का हत्यारा है।


क्या हुआ था 1 जनवरी 1948 को?

अंग्रेज भारत छोड़ के गए, तब Indian independence act 1947 के नाम पर सत्ता का हस्तांतरण कर गए.. उस समय भी ब्रिटिश शासन 3 तरह का था, इस लिए सत्ता का हस्तांतरण भी 3 तरह के हुवे.. (Indian independence act1947 का section 7(a, b, c)


a)ब्रिटिश इंडिया, जिसमे अंग्रेजों ने शासन किया( संविधान के अनु 1का 1)

b) इंडियन स्टेट्स , जो कि स्वतंत्र थे[अनु 1(2)]

c) Tribal area, जहां अंग्रेजों ने शासन किया ही नही.. 

( वर्तमान के 5वी , 6ठी अनुसूची)


इसलिए अंग्रेजों ने भारत के राजनेताओं के साथ अग्रीमेंट किया, की हम तीनों क्षेत्र को छोड़कर जा रहे हैं, और foreign jurisdiction act के तहत आप Indian states और tribal area को भारत में मिला सकते हैं, साथ ही आप तीनो के लिए संसद और विधानमंडल द्वारा कानून बना सकते हैं, पर7 b, c क्षेत्र , आदिवासी क्षेत्रों के local law( रूढि प्रथा) को ध्यान में रखते हुवे.. 

Note:- देखें foreign juridiction act, indian independence act 1947 , sect 7,a, ब,c)


पर 7 b,  यानी इंडियन स्टेट्स(रजवाड़े, प्रिंसली स्टेट्स, स्वतंत्र प्रान्त)  और 7c यानी tribal area तब स्वतंत्र हो जाएंगे, जब अंग्रेजों द्वारा किए गए एग्रीमेंट और कुछ प्रावधानों पर भविष्य में असहमति अगर इंडियन स्टेट के रूलर या किसी ऐसे व्यक्ति जिनके पास जनजाति क्षेत्रों का पावर हो( शायद ac भारत सरकार, कंगला मांझी सरकार, कोल्हान का रामो बिरवा या KC hembrom) या किसी जनजाति क्षेत्र के भाग( उदाहरण खूंटी, और अन्य राज्यों के पत्थलगड़ी क्षेत्र) से अगर प्रश्नचिन्ह उठाई जाती है या विरोध होता है ,तो एग्रीमेंट समाप्त होकर आदिवासी स्वतंत्र हो जाएंगे ।

.यह बात इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के सेक्शन 7बी यानी इंडियन स्टेट पर भी लागू होती है।


इसी बात को बताने के लिए जयपाल सिंह मुंडा खरसांवा में सभा करने वाले थे, पर सत्ता के लालची गृहमंत्री के आदेश से निहत्थे 30,000 आदिवासियों पर गोली चलवा दिया गया था, ताकि वो अलग देश/province की मांग न कर सकें।


और जयपाल सिंह मुंडा, कार्तिक उराँव, रामदयाल मुण्डा और अन्य अगुवों  की राजनीतिक महत्वाकांक्षा, दूरदर्शी सोच की कमी और उस हत्याकांड से डर के कारण दोबारा स्वशाशन (देश के अंदर स्वशाशन)की मांग आदिवासी द्वारा नही हुई।जबकि हर आंदोलन को दबाने की कोशिश हमेशा ही राजनीतिक सरकार द्वारा की गई है।


ठीक उसी प्रकार 2 जनवरी को 13 आदिवासियों की निर्ममता पूर्वक हत्या कलिंगनगर,  उड़ीसा में कर दी गई थी, #ताता कंपनी के गुण्डो ने जबरन जमीन अधिग्रहण के लिए स्त्रियों के स्तन और पुरूषों के लिंग काट डाले थे।

इस 1 और 2 जनवरी को आदिवासियों का "काला दिवस" है।

और पूरे देश के आदिवासी इन दो दिन खुशियाँ नहीं मनाएँगे।

हाँ, दोगले आदिवासियोंके लिए छूट है, जो जानकारी होते हुए भी पिकनिक मनाएँगे।

     बालाघाट माईन आख़िरी सांस तक लड़ना आदिवासियों ने अपने पुरखों से सीखा ! उसका ये जीता-जागता उदाहरण है।




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